हिंदी में खाते पीते
हिंदी में सोते हैं
हिंदी की हल्दी, मिर्ची
पर इंगलिस की छौंक लगाते हैं
पूरी बात हिंदी में करते
अंत में बट-बूट
और दिस- दैट लगाते हैं
लगता है उनको ये शायद
बोलकर ऐसी अंग्रेजी वे
फट से जीनियस बन जायेंगे
बात बॉलीवुड के हिरउआ का ही नहीं
हई पवनवा और खेसरिया भी भैया
बट बट करके बतियाता है
खाये कमाये हिंदी बिटिया
भोजपुरी से
पर शेखी बघारे अंग्रेजी में
नाच गान
सुर ताल सब हिंदी में रचते
प्रचार कराते पर अंग्रेजी में
खेत खलिहान
बिहन,अंटिहन
दूध, दही, गैया, भैंसिया
सब हिंदी में होता
पैकेजिंग मगर होता इंग्लिश में
धोती पहनते हिंदी में फिर भी
गिडबिड गिडबिड करते अंग्रेजी में
काले होकर पचा लेते हैं अंग्रेजी मगर
उल्टी हो जाती हिंदी से
नव बौद्धिकों की तो है
और अलग ही कहानी
धान को पैडी, भात को राइस
मक्का को कॉर्नफ्लेक कहते हैं
बात नहीं ये कोई भाषा विवाद
और भाषा की श्रेष्ठता की प्यारों
बात है ये
अपने हिंदुस्तानी पहचान की
ना जाने मगर
लोगों को हुआ क्या है?
हिंदी को रखते अब भी
चौखट के अंदर
अंग्रेजी को बाहर घुमाते हैं
शर्माते हैं मां को
अपनी मां कहते
आंटी को मां बताते हैं।।