घर सूना, आँगन है सूना,
सूना जीवन का हर कोना
आपके जाने के बाद।
नित दिन याद सताती है,
मुझको बड़ी रुलाती है,
आपने ही तो चलना सिखाया,
पकड़कर मेरा हाथ।
याद बहुत तड़पाती है,
आपके जाने के बाद।
आखिर इतनी भी क्या थी जल्दी,
पोतियों को लग जाने देते हल्दी,
बस इतना है शिकवा-गिला,
पोतियों के हाथ कर लेते पीला,
सांसो की डोर को,
कुछ दिन और लेते थाम,
कुछ अधूरे कामो को
बस, दे लेने देते अंजाम,
पर काल के आगे किसकी क्या बिसात!
याद बहुत सताती है
आपके जाने के बाद।
यादों को सब संजोते हैं,
बच्चे पल-पल रोते हैं,
चैन नहीं मिलता है सबको,
चाहे दिन हो चाहे रात,
छुपा नहीं पाता हूँ अब मैं
अपने वो जज्बात।
याद बहुत आती है मुझको,
आपके जाने के बाद।
आपका जाना लगता सपना,
रिश्ते-नाते सब हैं फिर भी,
नहीं कोई लगता है अपना,
साथ देने की कहने वाले,
छोड़ रहे हैं मेरे हाथ,
नींद नहीं अब आंखों में,
रात कट रही यादों में,
सजा रहा हूँ पल-पल अब मैं,
यादों की बारात,
यादें बहुत रुलाती है,
आपके जाने के बाद।
(पिताजी के संदर्भ में)