रघुवर ने अपने हाथों लिखी पराजय की पटकथा

February 2, 2024

झारखण्ड। एक प्रचलित कहावत है कि “तेल जले पर उजाला नहीं।” यह कहावत झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में बिल्कुल सटीक बैठती है। पिछले 15 वर्षों में स्थाई सरकार के लिए तरसते झारखंड को रघुवर दास ने अर्थात भारतीय जनता पार्टी ने 5 वर्षों की स्थाई सरकार दी। यह भी निर्विवाद सत्य है कि भाजपा और रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार में झारखंड में काफी काम हुए। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या खेलकूद का।  उग्रवाद-अपराध नियंत्रण हो या फिर स्वास्थ्य का क्षेत्र ही क्यों ना हो। इन सभी क्षेत्रों में पिछले 15 वर्षो की अपेक्षा सर्वाधिक काम हुए। इसके बाद भी विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। कुछ राजनीतिक पंडितों की दृष्टि में इसकी वजह रघुवर दास के क्रियाकलाप और तानाशाही रवैया माना जाता है। राज्य में लगभग 75 हजार पारा शिक्षक कार्यरत हैं। पिछले चुनाव में भाजपा की सरकार ने पारा शिक्षकों को स्थाई करने और उन्हें सम्मानजनक मानदेय देने के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और पारा शिक्षकों का भरपूर सहयोग और समर्थन प्राप्त कर चुनाव जीता। राज्य में भाजपा की सरकार बनी, किंतु चुनाव से पूर्व पारा शिक्षकों के साथ किए गए वायदे पर रघुवर सरकार खरा नहीं उतरी। अपनी मांगों के समर्थन में पारा शिक्षकों ने जिला से लेकर राज्य मुख्यालय तक धरना प्रदर्शन किया। अनशन किया। किंतु उन्हें रघुवर सरकार से अगर कुछ मिला तो वह उपेक्षा लाठियां और जेल। पारा शिक्षकों का वह क्रोध 2019 के विधानसभा चुनाव में आग की लपटें बनकर बाहर निकली और भारतीय जनता पार्टी को तपा दिया।  वहीं एक हजार रुपए महीने पर स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली रसोइयों ने भी अपने मानदेय में वृद्धि को लेकर जिला मुख्यालय से लेकर राज्य मुख्यालय तक प्रदर्शन किया। किंतु महिलाओं पर भी रघुवर की निरंकुश सरकार ने लाठियां बरसाई। परिणाम यह हुआ कि पारा शिक्षकों और रसोईया संघ ने इस चुनाव में बुलेट का जवाब बैलेट से देकर रघुवर से अपना हिसाब बराबर कर लिया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रघुवर दास ने झारखंड में अपने और भाजपा के पराजय की पटकथा स्वयं लिखी है। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि रघुवर के नेतृत्व वाली सरकार में मकान और जमीन का टैक्स इतना बढ़ा दिया गया कि जनता उससे त्रस्त रहने लगी। यहां तक की एक ही जमीन के दो-दो जगह टैक्स देने पड़ते हैं। नगर परिषद और नगर  नगर पंचायत में अलग और राजस्व कार्यालय में अलग। खाली पड़ी परती जमीन पर भी भारी भरकम टैक्स प्रदेश की जनता लाद दिया गया, जिसका परिणाम इस चुनाव में दिखा। 

अब देखना है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पारा शिक्षकों और रसोईया संघ के साथ किस तरह का न्याय करती है।