तू डर मत, चलते रह कंटीले राहों पर
दूर नहीं है अब मंज़िल,
बस कुछ ही मोड़ हैं बाकी,
रुक गए गर जो तुम तो,
पीछे रह जाओगे,
ओझल ना हो मंज़िल नज़रों से,
ऐसा जुनून तो ला।
डरकर मुश्किलों से तू मंज़िल कैसे पायेगा ?
तू सफ़र शुरू तो कर, कारवाँ ख़ुद बन जायेगा।
मंज़िल की दूरी तू ना नाप, हौसले को बड़ा तो कर,
रास्ते नज़दीक हो जायँगे।
योद्धा वही है जो तूफ़ान में भी रहता है अड़ा,
मंज़िल क़रीब है चंद कदम तो बढ़ा..।
ख़ुद को यूँ बुलंद कर की तूफ़ान भी रुक जाए,
भुला दुनिया को, नजदीकियाँ तू लक्ष्य से बना,
मंज़िल तेरी जिस राह जायेगी, उस ओर क़दम तो बढ़ा।
छोटी ठोकरों से यूँ तू हार ना जा
अगर करना है मकाम हासिल, तो अपने पंखों को उड़ा,
लक्ष्य के क़रीब पहुँच, अब तू यूँ ना लड़खड़ा
मंज़िल करीब है, चंद क़दम तो बढ़ा।
तू यूँ ना घबरा, सफ़र जितना कठिन है, मंज़िल उतनी शानदार होगी
इन बातों पर ज़रा ध्यान तो लगा,
चाहे आंधी हो या तूफ़ान या हो लहरों का उफ़ान
तू रुक मत, बढ़ते चल
आज तू भले ही बिखरा है,पर कल तू जरूर निखरेगा
मंज़िल की उस चोटी पर तो पहुँच
कारवाँ ख़ुद बन जायेगा।
सोना भी तो तप कर ही कुंदन बना है
जीत पाने को बेताब होकर तू मत यूँ लड़खड़ा,
मंज़िल क़रीब है, चंद कदम तो बढ़ा……!!
खुद को बेहतर से बेहतर करने का प्रयास कर,
नदी गर मिल जाए, तो समुद्र की तलाश कर।
पत्थर अकसर तोड़ देते हैं शीशे को,
जो पत्थर को तोड़ दे, उस शीशे की तलाश कर।
मत घबरा, मुश्किलों से आखें तो लड़ा,
मंजिल करीब है, चंद कदम तो बढ़ा….!!