लोकतंत्र के पावन पर्व का,
सब मिलकर सम्मान करो,
चाहे जो कुछ भी हो जाए,
अब कि तुम मतदान करो।
रंग-बिरंगे कई हैं चेहरे,
गलियों में लोग लगाते फेरे,
अच्छे बुरे की पहचान करो,
चाहे जो कुछ भी हो जाए,
अबकी तुम मतदान करो।
चाहे टोपी हो या खाकी,
अबकी कोई रहे ना बाकी,
जैसे-तैसे नेताओं के,
व्यर्थ में ना गुणगान करो,
अपने एक वोट को देकर,
भारत का कल्याण करो।
लोकतंत्र के पावन पर्व का,
सब मिलकर सम्मान करो,
चाहे जो कुछ भी हो जाए,
अबकी तुम मतदान करो।
*मनोज कुमार पांडेय*