मां मुझे मत मार,
मुझे आने दो।
मैं बेटे सा प्यार दूंगी,
तेरी किस्मत संवार दूंगी।
मां मुझे मत मार,
मुझे आने दो।
क्या मैं बोझ हूं, नहीं,
मैं नई सोंच हूं।
मां, अगर तू ममता की मूरत है,
तो बेटियां भी समाज की जरूरत है।
हमें जमीं से आसमां तक छा जाने दो,
मां, मत मार, मुझे आने दो।।
मैं साया की तरह तुम्हारे साथ रहूंगी,
सुख हो या दुख सब सहूंगी।
हर काम में तेरा हाथ बटाऊंगी,
मां, मुझे जो दोगी, खाउंगी,
तेरी ममता की आंचल में सो जाउंगी,
मैं तेरे समनों की नन्हीं सी चिडिया
मुझे आसमां में पंख फैलाने दो,
मां, मत मार, मुझे आने दो।
मैं तुम्हारी ही तो छाया हूं,
थोडे ही गैर और पराया हूँ
मुझे भी सपनों के गीत गानेे दो,
मां, मत मार, मुझे आने दो।
रचना
मनोज कुमार पांडेय
खूबसूरत रचना